कुछ यादों की डायरी : अक्टूबर 2021
अक्टूबर...!
अक्टूबर... कम से कम मेरे लिए इसलिए तो खास नहीं है कि मैं इस महीने में पैदा हुआ था। हाँ, एक्सीडेंट एनीवर्सरी जरूर हो गया था, मैंने पूरी दुनिया तो नहीं देखी पर दुनिया को काफी करीब से देखा है।
यहां चेहरे के ऊपर इतने चेहरे पाए जाते हैं कि पहचान पाना मुश्किल होता है, कौन सा असली है कौन सा नहीं...! लोग तब तक आपको तंग करते रहते हैं जब तक आप उन्हें अपनी ज़िंदगी से बाहर न कर दें, फिर भी उन्हें आपके आसपास के लोगो में मिलकर जहर घोलना जरूरी है, और मजे की बात ये है कि अपने आपको आपका हितैषी बताने में कोई कोताही नहीं बरतते, फिर इनकी वजह से आपका सिर भले फट ही क्यों न जाये।
मतलब लोग अपनी ग़लतियो को ऐसे बहाने देते हैं जिनको देखने के बाद ब्रह्मा जी भी बोल पड़े..."अरे...! ये तो मैंने नहीं लिखा था.. तुमने कहा से ऐड कर लिया..!" बहानो के बहाने से आपको इतना दर्द देंगे कि आपसे सहा न जाये, फिर अपने समस्त दुखो का कारण आपको ही बता के अपने कर्म पूर्ण कर लेंगे।
कुछ इसी तरह ज़िंदगी गुजरती जा रही थी, दिमाग में कई प्लॉट्स थे, सोचा इस बार नया ट्राय करूँ पर लोगों ने कुछ खास पसन्द नहीं किया, ट्रेलर के अलावा बाकी की स्टोरी गयी गड्ढे में...! मतलब सच में यार... ऐसा भी कोई करता है क्या..?
बाकी सब बढ़िया ही गया, मैंने खुद से रूबरू होने के बाद हर तरह की समस्याओं का सामना करना सीख लिया। मेरे मन ने मुझे हर हमेशा हिम्मत दी।
सच ये है कि आप कभी अकेले नहीं होते हो, बस आपको अपने मन को ढूंढना होता है।
लोग आपकी कमजोरियों पर तंज कसकर आपको और कमज़ोर साबित करना चाहते हैं इसलिए अपनी कमजोरियों का जिक्र बहुत कम लोगो से करना चाहिए। बाकी काफी कुछ सीखा, पढ़ने के साथ यूनिवर्स के बारें में जानकारियां भी जुटाता रहा, क्योंकि तभी "रक्षक" के बारे में आगे सोच रहा था।
कुछ मिलाकर यह महीना दिमाग और ज़िंदगी से काफी कचरों को निकालकर स्वच्छता अभियान वाला महीना बना। वही कुछ बेहतरीन लोगो से नाता जोड़कर यह भी साबित किया कि जो लोग अपनी साफ सफाई रखते हैं वहां सब बेहतरीन ही मिलते हैं।
बाकी दुनिया का मतलब क्या है, उसे कल भी ठेंगा दिखाना था, आज भी वही करेगी, आगे भी करती रहेगी। यहां न कोई किसी का हो सका है ना होगा, वादा करने वाले तो बिल्कुल नहीं.... हाँ रिश्ते बस निभाये जाते हैं, जहां यकीन दिलाने के लिए ना कसम की जरूरत होती हैं ना ही किसी वादे की... क्योंकि अगर कसमों से रिश्ते चलते तो सब के रिश्ते जुड़ते ही कांच की तरह बिखर नहीं रहे होते।
यही सच्चाई है इस दुनिया की। मन ने मेरी आँखें खोल दी, दुनिया वाकई बेहद खूबसूरत है, बस उसे देखने का नया नजरिया होना चाहिए..! अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करना चाहिए। बाकी मैं मन से हर रोज कुछ न कुछ सीखते रहता हूँ, महीने साल तो यूँ ही बीतते रहेंगे, पर ये बातें जीवन भर काम आती रहेंगी।
राधे राधे🥰
#डायरी
🤫
28-Dec-2021 05:48 PM
Nicely...
Reply